''प्रियतम'' कुछ तो प्रतीत होता है तेरी अंखियो से !
मंद मंद सी मुस्काती ये चंचल अंखिया, कह जाती है अक्स़र कुछ ऐसी बतिया
जो न तुमने साफ़ कहा है अपनी बतियो से !
''प्रियतम'' कुछ तो प्रतीत होता है तेरी अंखियो से !
अक्स़र मैंने ये महसूस किया है, तेरा भी कुछ मुझमे लगे जिया है
फिर क्यों आती है लाज तुझे इन् बतियो से !
''प्रियतम'' कुछ तो प्रतीत होता है तेरी अंखियो से !
अदभुत सा यह रूप तुम्हारा ,विस्मित है मन देख ये सारा
विहवल है आतुरता की इन् रतियों से !
''प्रियतम'' कुछ तो प्रतीत होता है तेरी अंखियो से !
पंखुड़ियों के पौर ज़रा तू खुलने दे , इन् अधरों को स्वर आलिंगन करने दे
फिर गूंजेगा गीत इन सभी स्मर्तियों से !
''प्रियतम'' कुछ तो प्रतीत होता है तेरी अंखियो से
''प्रियतम'' कुछ तो प्रतीत होता है तेरी अंखियो से
सभी प्यारे मित्रो को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !!
(रचना - सन्नी शुक्ल )
मंद मंद सी मुस्काती ये चंचल अंखिया, कह जाती है अक्स़र कुछ ऐसी बतिया
जो न तुमने साफ़ कहा है अपनी बतियो से !
''प्रियतम'' कुछ तो प्रतीत होता है तेरी अंखियो से !
अक्स़र मैंने ये महसूस किया है, तेरा भी कुछ मुझमे लगे जिया है
फिर क्यों आती है लाज तुझे इन् बतियो से !
''प्रियतम'' कुछ तो प्रतीत होता है तेरी अंखियो से !
अदभुत सा यह रूप तुम्हारा ,विस्मित है मन देख ये सारा
विहवल है आतुरता की इन् रतियों से !
''प्रियतम'' कुछ तो प्रतीत होता है तेरी अंखियो से !
पंखुड़ियों के पौर ज़रा तू खुलने दे , इन् अधरों को स्वर आलिंगन करने दे
फिर गूंजेगा गीत इन सभी स्मर्तियों से !
''प्रियतम'' कुछ तो प्रतीत होता है तेरी अंखियो से
''प्रियतम'' कुछ तो प्रतीत होता है तेरी अंखियो से
सभी प्यारे मित्रो को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !!
(रचना - सन्नी शुक्ल )